मंगलवार, अगस्त 31, 2010

आज उसकी बात ही खत्म नहीं होती

आज तो उसकी बात ही नही ख़त्म हो रही, मैंने कभी उसे  ऐसे नहीं देखा था. हम पांचो दोस्त तीन साल से भी ज्यादा  वक़्त के बाद एक साथ मिले थे. हम चार की जिन्दगी लगभग वैसी ही चल रही थी जैसे तीन साल पहले थी. थोडा  बहुत अंतर के साथ,लेकिन एशा(बदला हुआ नाम) को देखकर, मिलकर उसकी बाते भुलाये नहीं भूलती . कितना कुछ था उसके पास कहने को. न जाने कितनी बाते बचा रखी थी उसने  कहने को. जाते जाते भी उसकी आंखे कुछ कह ही रही थी.  हम चारो पहले की तरह ही अज भी मिलने पर वही मस्ती करते है किसी की नहीं सोचते की कोई क्या कहेगा . लेकिन एशा बदल चुकी है, हमसे बहुत अलग लग रही थी.
कॉलेज के दिनों में जैसे मस्ती करने में अव्वल थे वैसे ही पढने में भी. आगे की योजनाये बनाते थे  .जो आज भी हम चारो करते है.. लेकिन एशा को कितना बदल दिया उसकी शादी ने. टीचिंग कोर्स करने के बाद भी वो घर में ही रहती है .. उसकी आँखों  में मैंने मेरे आगे बदने की खुशी देखी और अपने लिए अफ़सोस. वो किसी भी मामले में हमसे कम न थी .
ऐसा कियु है  की लडकियों की ही जिन्दगी बदलती है शादी के बाद. ..  लड़के  तो  वैसे ही अपना कैरिएर आगे बढ़ाते चलते है फिर लडकिया  कियु  नहीं. मुझे आज उसके लिय बहुत अफ़सोस होता है की उसके परिवार ने उसकी पढाई आगे नहीं बढने दी .
 ऐसा नहीं है की वो खुश नहीं है अब  लेकिन उसको देख agyya की रोज कहानी अन्यास ही याद आ गई..उसकी जिन्दगी कितनी नीरस हो गयी है. कोई नहीं है उसके पास जिससे वो कुछ कह सके..  

सोमवार, अगस्त 30, 2010

ओल्डएज होम का सच

इन दिनों oldage होम का काफी प्रचलित सब्ध हो गया है. बच्चे भी चाहते है उनके माँ बाप वहा जाकर रह.  आज किसी के पास इतना टाइम नहीं है की इन बुजुर्गो के लिए अपना दिमाग खपाए ....बीते एक वर्ष में मेरा संपर्क एक oldage  से हुआ जो की तिस हजारी कोर्ट के नजदीक है .. इससे पहले शायद मैं इस सब्ध अच्छी तरह से परिचित नहीं थी..लेकिन वहा जाकर जो देखा और जाना वो अश्चर्य करने वाला है.. राजनीती तो हर जगह होती है लेकिन oldage  होम की राजनीती   को पहली ही बार वहा के बुजुरो के मुह से ही सुना . 
पहले तो oldage  होम पर बहस सुनी की वो सही है या नहीं .. फसबूक पर अशोक चक्रधर ने सबकी राय ..इस विषय पर जाननी चाही थी तो लोगो ने अपने बिचारो की झड़ी  लगा दी. oldage होम चाहे बुरा हो या भला ..लेकिन हुजुर यह मत सोचिए  की वहा रहना बहुत  आसान है . वहा रहने के लिए आपको अची खासी कीमत चुकानी पड़ेगी  एक कमरे का हर महीने 1000 से ज्यादा का  किराया है. . साथ ही अगर आपका वहा अन्दर किसी से सोलिड साठ गांठ न हो तो भूल जाइये  की आपको वहा कमरा मिलेगा .. मान लीजये आपको कमरा भी मिल गया तो इसकी कोई गारंटी नहीं है की आपके साथ वहा भेदभाव न हो... एक बुजुर्ग महिला से मैंने पहली मुलाकात में जानना चाह तो उन्होंने मुझसे अपनी परेशानी बांटी.. आज के बच्चो  को यह समझने की जरुरत है इन्हें अपने बड़ो को वक़्त और अपना साथ देने चाहिए ... आज जो हम अपने बड़ो के साथ करेंगे वही आने वाली पीढ़ी हमारे साथ करेगी.. या हो सकता है इससे भी बुरा करे ...